पतझड़ के बाद

"काजल बेटी ड्राईवर गाड़ी ले आया ,बारिश रुकने के बाद चली जाना...!"माँ ने खिड़की के पास से काजल को कहा "नही माँ दीपक मेरा इंतज़ार करते होंगे "कहकर काजल गाड़ी मी बैठ गई और माँ बाबूजी से विदा ली बारिश अब कुछ कम हो गई थी मौसम सुहावना था .कार मैं बैठी काजल पुरानी यादों क पन्ने पलटने लगी।आज भी यह ड्रामा उसके साथ छाती बार हुआ .माँ बाबूजी तो सुबह से ही तयारी मे लगे रहे"अरे जल्दी करो,वर पक्ष से लोग आते ही होंगे...."फ़िर मिठास घोलती हुई मुझसे बोली.."बेटे कुछ मेकप बिंदी से चेहरा सवार लो जाओ तैयार हो जाओ" । और मैं मन मारते ही कमरे मे आ गई.सोचने लगी..क्या फायदा श्याम वर्ण कि वजह से ५ लोग तो पहले ही ठुकरा चुके हैं..ये बेईज्जती बार बार क्यों सहूँ???मुज्से छोटी दोनों बहनो कि शादी हो गई।इक मैं ही बोझ बन के रह गई हु पर अब नही ।इस बार भी जब वर पक्ष के लोग काजल को देख कर मुह्ह बिचका कर चले गए तो काजल मे विरोध करने कि शक्ति आ गई "नही, बाबूजी अब और नही ,ये अपमान का बोझ मुज्से और नही बर्दाश्त होता ,आप मुज अभागिन को अगर कुछ समजते हैं तो अब मे नौकरी कर क ख़ुद जीवन य...